Wednesday, May 12, 2010
दास्ताँ गरीबी की
आज भी गरीबी ज्यों की त्यों है बल्कि बदती जा रही है । ताज्जुब की बात ये नहीं है की गरीबी बढती जा रही है ताज्जुब की बात ये है की गरीबी को दूर करनेवाला कोई नहीं आ रहा है। हाय रे भारत और हाय रे यह गरीबी। गरीबी का कलंक भारत से कब हटेगा कौन जाने। बहुत से लोगों ने प्रयास किये की भारत की गरीबी दूर हो मैं उनके प्रयोसों की काफी सराहना करता हूँ। मैं तो उन्हें ही धन्य कहूँगा जो भारत की इस गरीबी को हटना का प्रयास कर रहें हैं बाकि लोग तो राजनीती किस लिए कर रहें हैं यह जग जाहिर है। मैं एक आम मामूली आदमी मैं भी कुछ प्रयास करना चाहता हूँ और कुछ करूँगा। इतने बड़े देश के लिए मैं क्या कर सकता हूँ यह तो देखा जायेगा। लेकिन कुछ किया जाना चाहिए। मुझे विश्वास है की मैं भारत की गरीबी दूर कर सकता हूँ अतः मैं यह काम करूँगा। विधि क्या है वह मैं जानता हूँ । मेरी विधि से भारत की गरीबी जरुर दूर हो जाएगी। यदि मैं आगे के २५ साल जीवित रहा तो मैं जरुर बहुत कुछ कर सकता हूँ।
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