Tuesday, May 25, 2010

आज पता चल रहा है की पूरा भारत भ्रष्टाचार में डूब गया है। हर व्यक्ति लगता है की वह पैसे से बिक जाना चाहता है और बिक भी जाता है। पेपर और टीवी में निंदा प्रसारित होने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। आज ऐसा लगता है कि इस देस के लिए कोई कुछ करना ही नहीं चाहता है वह तो बस अपने लिए ही कुछ करना चाहता है। ऐसी बिगड़ी हुई हालत में अगर मैं यह कहूँ कि मैं इस हालत को संभालना चाहता हूँ तो क्या लोग मेरी बात को समझ पाएंगे? लोगों को समझाने के लिए तो पहले मुझे बात तो करनी होगी। बात करने के बाद ही तो यह पता लगेगा कि लोग मेरी बात को समझेंगे या मेरी हंसी उड़ायेंगे। जो मेरी क्षमता है वो बात तो मुझे पहले करनी ही होगी सो मैं यह बात करना चाहता हूँ। मुझे मत दो मैं तुम्हें सब दूंगा।

1 comment:

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