Tuesday, May 25, 2010

आज पता चल रहा है की पूरा भारत भ्रष्टाचार में डूब गया है। हर व्यक्ति लगता है की वह पैसे से बिक जाना चाहता है और बिक भी जाता है। पेपर और टीवी में निंदा प्रसारित होने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। आज ऐसा लगता है कि इस देस के लिए कोई कुछ करना ही नहीं चाहता है वह तो बस अपने लिए ही कुछ करना चाहता है। ऐसी बिगड़ी हुई हालत में अगर मैं यह कहूँ कि मैं इस हालत को संभालना चाहता हूँ तो क्या लोग मेरी बात को समझ पाएंगे? लोगों को समझाने के लिए तो पहले मुझे बात तो करनी होगी। बात करने के बाद ही तो यह पता लगेगा कि लोग मेरी बात को समझेंगे या मेरी हंसी उड़ायेंगे। जो मेरी क्षमता है वो बात तो मुझे पहले करनी ही होगी सो मैं यह बात करना चाहता हूँ। मुझे मत दो मैं तुम्हें सब दूंगा।

Wednesday, May 12, 2010

दास्ताँ गरीबी की

आज भी गरीबी ज्यों की त्यों है बल्कि बदती जा रही है । ताज्जुब की बात ये नहीं है की गरीबी बढती जा रही है ताज्जुब की बात ये है की गरीबी को दूर करनेवाला कोई नहीं आ रहा है। हाय रे भारत और हाय रे यह गरीबी। गरीबी का कलंक भारत से कब हटेगा कौन जाने। बहुत से लोगों ने प्रयास किये की भारत की गरीबी दूर हो मैं उनके प्रयोसों की काफी सराहना करता हूँ। मैं तो उन्हें ही धन्य कहूँगा जो भारत की इस गरीबी को हटना का प्रयास कर रहें हैं बाकि लोग तो राजनीती किस लिए कर रहें हैं यह जग जाहिर है। मैं एक आम मामूली आदमी मैं भी कुछ प्रयास करना चाहता हूँ और कुछ करूँगा। इतने बड़े देश के लिए मैं क्या कर सकता हूँ यह तो देखा जायेगा। लेकिन कुछ किया जाना चाहिए। मुझे विश्वास है की मैं भारत की गरीबी दूर कर सकता हूँ अतः मैं यह काम करूँगा। विधि क्या है वह मैं जानता हूँ । मेरी विधि से भारत की गरीबी जरुर दूर हो जाएगी। यदि मैं आगे के २५ साल जीवित रहा तो मैं जरुर बहुत कुछ कर सकता हूँ।